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Umesh Dobhal
घर लौटने का समय
पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...
सावधान !
जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...
कल रात नींद नहीं आयी
कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...
गुण्डा
सड़क पर ऐंठ कर आगे बढ़ता है गुण्डा साथियों के बीच बादशाह है गैरों के बीच डरा हुआ सतर्क आदमी गुण्डा उन सामाजिक मूल्यों की उपज है नकारा...
बर्फ और सपना
ठिठरती रात की उनींदी सी आंखों में एक खूबसूरत सा सपना आया सुबह पहाड़ियों सीढ़ीनुमा खेतों गांव और आंगन में बर्फ ही बर्फ फैल गई बच्चों को...
जवान बेटी
कहां-कहां जांऊ और किस-किस से कहूं बेटी जवान हो गई है उसके लिए वर चाहिए एक अच्छा सा वर उसका बचपन मेरी गोदी में बीता है किलकारियों से गूंजा...
सन्नाटे में किसको ढूंढें
नीम की छांव और कौओं की कांव-कांव उदास है दुपहरी उचाट है मन हांफती चिरैया मौन खड़े पेड़ उड़ती हुई धूल में किसे पुकारें नहीं बरसा आसमां सूख...
मेरा गांव
रिमझिम बरसात में प्यास-प्यास पुकार रहा है मेरा गांव अहा ! ग्राम्य जीवन से कोसों दूर है मेरा गांव या परती-परीकथा का कोई अदना सा मुरीद है...
आसमान
अनचाहे सम्बन्धों की अखर गई यह बरखा बिन बुलाये क्यों कर आई यह मूसलाधार वर्षा सिमट गई फाल्गुन की मदमाती गांव की धरती पूस गांव की कंपकंपी को...
कैसे रहना है शहर में
शहर ध्यान लगाकर बैठ गया है गांव आयेगा शहर में सूरज चढ़ने के साथ ही गांव आने लगा है शहर में एक गांव पगला गया है चिल्ला रहा है कोर्ट-कछड़ी...
सोचो मेरा क्या होगा
दिन जमाने को दे दिया रात तो मेरी रहने दो अश्क थमे हैं आंखों में रात को इनको बहने दो तुमने जो मांगा हमने दिया है बस अंधेरा रहने दो जब सब...
हर जगह मौजूद है मां
असमय बूढ़ी हो गई है मां की उम्र के बांज की शाखाओं से खुरदरे हाथ कितने स्नेहिल हैं बेटी-बेटों व नाती-पोतों के लिए उनके लिए कितना जवान है...
महत्वाकांक्षा
चिड़िया आसमान की बुलन्दियों को छूना चाहती है डैनो के मजबूत होते ही चिड़िया घोंसला छोड़ देती है चाहता हूं- चिड़िया की तरह पहाड़ियों के पार...
लड़ रहा हूं
अंधेरे से लड़ रहा हूं मैं अपने आप से लड़ रहा हूं चांद तारे छुप गये हैं बादलों में मैं अंधेरे को चीरता पग-पग बढ़ता जा रहा हूं बरस रहा...