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Umesh Dobhal

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घर लौटने का समय
पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
23 views
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सावधान !
जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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कल रात नींद नहीं आयी
कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
11 views
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गुण्डा
सड़क पर ऐंठ कर आगे बढ़ता है गुण्डा साथियों के बीच बादशाह है गैरों के बीच डरा हुआ सतर्क आदमी गुण्डा उन सामाजिक मूल्यों की उपज है नकारा...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
9 views
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बर्फ और सपना
ठिठरती रात की उनींदी सी आंखों में एक खूबसूरत सा सपना आया सुबह पहाड़ियों सीढ़ीनुमा खेतों गांव और आंगन में बर्फ ही बर्फ फैल गई बच्चों को...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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जवान बेटी
कहां-कहां जांऊ और किस-किस से कहूं बेटी जवान हो गई है उसके लिए वर चाहिए एक अच्छा सा वर उसका बचपन मेरी गोदी में बीता है किलकारियों से गूंजा...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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सन्नाटे में किसको ढूंढें
नीम की छांव और कौओं की कांव-कांव उदास है दुपहरी उचाट है मन हांफती चिरैया मौन खड़े पेड़ उड़ती हुई धूल में किसे पुकारें नहीं बरसा आसमां सूख...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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मेरा गांव
रिमझिम बरसात में प्यास-प्यास पुकार रहा है मेरा गांव अहा ! ग्राम्य जीवन से कोसों दूर है मेरा गांव या परती-परीकथा का कोई अदना सा मुरीद है...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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आसमान
अनचाहे सम्बन्धों की अखर गई यह बरखा बिन बुलाये क्यों कर आई यह मूसलाधार वर्षा सिमट गई फाल्गुन की मदमाती गांव की धरती पूस गांव की कंपकंपी को...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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कैसे रहना है शहर में
शहर ध्यान लगाकर बैठ गया है गांव आयेगा शहर में सूरज चढ़ने के साथ ही गांव आने लगा है शहर में एक गांव पगला गया है चिल्ला रहा है कोर्ट-कछड़ी...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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सोचो मेरा क्या होगा
दिन जमाने को दे दिया रात तो मेरी रहने दो अश्क थमे हैं आंखों में रात को इनको बहने दो तुमने जो मांगा हमने दिया है बस अंधेरा रहने दो जब सब...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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हर जगह मौजूद है मां
असमय बूढ़ी हो गई है मां की उम्र के बांज की शाखाओं से खुरदरे हाथ कितने स्नेहिल हैं बेटी-बेटों व नाती-पोतों के लिए उनके लिए कितना जवान है...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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महत्वाकांक्षा
चिड़िया आसमान की बुलन्दियों को छूना चाहती है डैनो के मजबूत होते ही चिड़िया घोंसला छोड़ देती है चाहता हूं- चिड़िया की तरह पहाड़ियों के पार...
Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
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लड़ रहा हूं
अंधेरे से लड़ रहा हूं मैं अपने आप से लड़ रहा हूं चांद तारे छुप गये हैं बादलों में मैं अंधेरे को चीरता पग-पग बढ़ता जा रहा हूं बरस रहा...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
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उदास बसन्त
रात बीत जायेगी फिर सवेरा होगा कल मनायेंगे बसन्त सूरज को आना ही है रोशनी में बतियायेंगे पत्तों से पेड़ों में फूल पगडंडी पर खुशबू लदी है...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
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याद
पेड़ों ने पहन ली हैं सफेद टोपियां बर्फ क्या गिरी हिमालय और पास आ गया और तुम्हारी याद भी जिसका बचपन बर्फ के गोले दागने में बीता है वह मैं...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
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सूरज मेरा आराध्य है
सरल बातें जो रोज घटती हैं अक्सर सरल नहीं होती सूरज रोशनी देता है दिन भर एक चमकदार रोशनी अंधेरे से जूझते इंसानों का पथ प्रदर्शक है सूरज...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
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चेहरे उदास क्यों हैं
फिर हवाओं ने छेड़ दिये हैं गीत आंगन गमक गया है अन्न की सुगन्ध से आसमान में कुलांचे भरने लगे हैं परिन्दे गांव उतर गये हैं खेतों में गुलाबी...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
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ये बच्चे मेरे गांव के
बच्चे बड़े होना चाहते हैं आस-पास देखते हुए वे झटपट बड़ा हो जाना चाहते हैं खेतों में मिट्टी से खेलते बच्चे हल की मूठ पकड़ना चाहते हैं...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
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पहाड़ी औरत
उसका बचपन मां के संग खेतों में बीता अपनी उम्र और शरीर से ज्यादा काम करते हुए उसके खेल डंगर, दरान्ती, मिट्टी और घास के गट्ठर थे इन्हीं के...
Umesh Dobhal
Sep 26, 20222 min read
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