top of page
Writer's pictureUmesh Dobhal

अब मैं मार दिया जाऊंगा

Updated: Sep 25, 2022

अब जबकि समाप्त हो रहा हूं मैं


मेरा जिस्म

मैं, इस वक्त भी उन्हीं के साथ हूं

यह पहाड़ी की ऊँची बुलंदियां

और नीचे फैली घाटियों का विस्तार


इससे आगे भी

जहां जमीन और आसमान मिलते हैं

वे मेरे अपने लोग

जीवन और मौत के बीच

इस छोटे से ठहराव में

मैं हरवक्त हरकत में रहा हूं

खौरियाये बैल की तरह

या बहते झरने की मानिंद


मैंने जीने के लिए हाथ उठाया

और वह झटक दिया गया

मैंने स्वप्न देखे

और चटाई की तरह

अपनों के बीच बिछा

उठाकर फेंक दिया गया

अंधेरी व भयावह सुरंग में


रोशनी!

मैंने वहां भी रोशनी तलाश की

भीड़ में खड़े आखिरी आदमी से पूछो

मिट्टी में लोटते इन बच्चों से पूछो

उस पल

जब औरत बाजार बनती है


रोशनी!

रोशनी की दरकार कितनी जरूरी है

सूरज के उगने की तरह

अब मैं मार दिया जाऊंगा

उन्हीं के नाम पर

जिनके लिए संसार देखा है मैंने

– उमेश डोभाल

10 views0 comments

Recent Posts

See All

घर लौटने का समय

पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...

सावधान !

जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...

कल रात नींद नहीं आयी

कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...

Comments


bottom of page