पहाड़ियों को चूमकर
सूरज आंगन तक क्या आया
खेतों में पानी से भरी थालियां
चांदी सी चमकने लगी
बर्फ से ढकी चोटियां शरमाई
और दुल्हन के मुख सी लाल हो गई
खुले-खुले आसमान में
चिड़ियायें चहक उठी
और पुलकित हो उठा सारा गांव
कि रात भर
खेतों में अमृत बरसा
कि आज रात भर
धरती पर सोना बरसा।
– उमेश डोभाल
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