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चेहरे उदास क्यों हैं

  • Writer: Umesh Dobhal
    Umesh Dobhal
  • Sep 26, 2022
  • 1 min read

फिर हवाओं ने छेड़ दिये हैं गीत

आंगन गमक गया है

अन्न की सुगन्ध से

आसमान में कुलांचे भरने लगे हैं परिन्दे

गांव उतर गये हैं खेतों में

गुलाबी जाड़ों के दिनों की

ऐसी ही होती है सुबह पहाड़ों की

सीढ़ीनुमा खेतों में

कोदे' की बालों से खेलने लगे हैं

खुरदरे हाथ

इन हाथों में प्यार छुपा हुआ है

अन्न के लिए मवेशियों के लिये

और अपनों के लिए

परिंदा कुछ बोल रहा है

खेत की मेंढ पर उगे पेड़ पर बैठकर

आंखे उठती हैं हाथ थमते हैं

सामने हिमालय है

वैभवशाली हिमालय

कमजोर हाथों और दिलों को ताकत देता हुआ

कितना प्यार कर सकता है कोई

गांव को परिन्दों को और हिमालय को

आओ और देखो

सच ! सब कुछ कितना सुहावना है

सिवाय उदास चेहरों के

पहाड़ और उसकी खूबसूरती देखो

जी भरकर देखो

चेहरों को भी देखो और बताओ

इस सारे खुशनुमा माहौल में

चेहरे उदास क्यों हैं।

– उमेश डोभाल

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