मेरा गांव
- Umesh Dobhal
- Sep 27, 2022
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रिमझिम बरसात में
प्यास-प्यास पुकार रहा है मेरा गांव
अहा !
ग्राम्य जीवन से कोसों दूर है मेरा गांव
या परती-परीकथा का
कोई अदना सा मुरीद है मेरा गांव
हर साल टूटा हुआ
ऐसा दरख्त है मेरा गांव
पटवारी की खसरा खतौनी में
अब छत्तीस वर्ष का जवान है मेरा गांव
तब से खैरियत पूछता
अब मंच बना मूक नहीं है मेरा गांव।
– उमेश डोभाल
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