top of page
Writer's pictureUmesh Dobhal

सावधान !


जब वे आते हैं

और कहते हैं

हम खुशियां लायेंगे

तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में


वे झूठ बोलते होते हैं

उनकी भाषा की नरमी में

एक तानाशाह छुपा होता है


तुम्हारी खुशियों से उन्हें क्या लेना-देना

मक्कारी जिनकी नस-नस में भरी है

वे अपने में ही जीते हैं

गुबरैले कीड़े की तरह

वे अपने अहम को ढोते फिरते हैं


सावधान! वे तुम्हारी शेष बची हुई खुशियों को

छीनने आये हैं

वे जीते ही छीना झपटी पर हैं

वे जीवित ही हम पर हैं

वे हमें क्या देंगे


पृथ्वी के चप्पे-चप्पे पर तुम्हारा परिश्रम चस्पां है

सौन्दर्य तुम्हारी कड़ी मेहनत का परिणाम है

ये सड़कें ये भवन ये खेत

सब तुम्हारे हैं

तुम्हारे ही भाइयों ने बनाई हैं

ये मोटरें ये जहाज और वह सब कुछ

जिससे तुम वंचित रखे गये हो


वे कौन होते हैं देने वाले

ये मक्कार तुम्हें क्या देंगे


– उमेश डोभाल

9 views0 comments

Recent Posts

See All

घर लौटने का समय

पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...

कल रात नींद नहीं आयी

कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...

गुण्डा

सड़क पर ऐंठ कर आगे बढ़ता है गुण्डा साथियों के बीच बादशाह है गैरों के बीच डरा हुआ सतर्क आदमी गुण्डा उन सामाजिक मूल्यों की उपज है नकारा...

Comments


bottom of page