top of page
Writer's pictureUmesh Dobhal

उदास बसन्त

रात बीत जायेगी

फिर सवेरा होगा

कल मनायेंगे बसन्त

सूरज को आना ही है

रोशनी में बतियायेंगे

पत्तों से पेड़ों में फूल

पगडंडी पर खुशबू लदी है

किसी की नींद में सपना बन कर

जाने को नहीं होता है मन।

– उमेश डोभाल

9 views0 comments

Recent Posts

See All

घर लौटने का समय

पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...

सावधान !

जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...

कल रात नींद नहीं आयी

कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...

Commentaires


bottom of page