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Writer's pictureUmesh Dobhal

आदमी होकर जीने की तकलीफ

तकलीफ

सच ! तकलीफ यही है

आदमी होकर जीने की तकलीफ

पूंजी के गर्भ से

जन्मी अव्यवस्थित होड़ में

शरीक होने की मजबूरी

मजबूरी

समृद्ध होकर आदमी बने रहने की।


– उमेश डोभाल

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